अहम की नदी
एक ही पलंग पर
उसका मुंह उत्तर में
मेरा मुंह
दक्षिण में रहता था
वो भी रात भर
करवटें बदलती रहती
मैं भी रात भर
करवटें बदलता रहता
ना वो सो पाती
ना मैं सो पाता
नींद नहीं आ रही है क्या
थोड़ी थोड़ी देर में
वो मुझसे
मैं उससे पूछता
ना वो मुझे सुलाने का
प्रयास करती
ना मैं उसे सुलाने का
प्रयास करता
अहम की नदी में
दोनों अलग अलग
नाव में सवार थे
मंजिल एक थी
थे भी पास पास
मगर फिर भी
एक दूजे से बहुत दूर थे
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
अहम,जीवन,सम्बन्ध,पति,पत्नी,रिश्ते
उसका मुंह उत्तर में
मेरा मुंह
दक्षिण में रहता था
वो भी रात भर
करवटें बदलती रहती
मैं भी रात भर
करवटें बदलता रहता
ना वो सो पाती
ना मैं सो पाता
नींद नहीं आ रही है क्या
थोड़ी थोड़ी देर में
वो मुझसे
मैं उससे पूछता
ना वो मुझे सुलाने का
प्रयास करती
ना मैं उसे सुलाने का
प्रयास करता
अहम की नदी में
दोनों अलग अलग
नाव में सवार थे
मंजिल एक थी
थे भी पास पास
मगर फिर भी
एक दूजे से बहुत दूर थे
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
अहम,जीवन,सम्बन्ध,पति,पत्नी,रिश्ते
04-02-04-2015
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