शाश्वत सत्य
पूर्णिमा को
जन्मे
नन्हे पक्षी
ने
जब हर दिन चन्द्रमा
के
आकार को घटते
देखा
घबरा कर
माँ से कहने
लगा
मेरा आकार भी
इस तरह घटता
रहा तो
एक दिन लुप्त
हो जाऊंगा
माँ ने उसे स्नेह
से
गले लगाया
सहलाते हुए समझाया
चन्द्रमा का
आकर
जीवन का
शाश्वत सत्य
बताता है
अमावस को पूर्णतया
लुप्त
हो जाता है
पूर्णिमा को
दुबारा जन्म
लेता है
जीवन का यही
नियम है
जो संसार में
आता है
एक दिन चला जाता
है
घबराओ मत
तुम्हारे साथ
भी वही होगा
जो सबके साथ
होता है
© डा.राजेंद्र
तेला,निरंतर
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538-01-08 --11-2014
© डा.राजेंद्र
तेला,निरंतर
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