पैमाने
=====
क्यों
हम किसी को
संदेह का
लाभ नहीं देते
एक वाक्य
एक घटना को
एक हरकत को
किसी के
व्यक्तित्व का
पैमाना बना लेते हैं
अपने सोच से
उसे अच्छा बुरा
समझने लगते हैं
त्रुटि हर
मनुष्य से होती है
गलत बात
हर मुंह से निकलती है
जानते हुए भी
खुद संदेह का
लाभ चाहते हैं
खुद के लिए
अलग पैमाने
दूसरों के लिए
अलग पैमाने रखते हैं
© डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
हम किसी को
संदेह का
लाभ नहीं देते
एक वाक्य
एक घटना को
एक हरकत को
किसी के
व्यक्तित्व का
पैमाना बना लेते हैं
अपने सोच से
उसे अच्छा बुरा
समझने लगते हैं
त्रुटि हर
मनुष्य से होती है
गलत बात
हर मुंह से निकलती है
जानते हुए भी
खुद संदेह का
लाभ चाहते हैं
खुद के लिए
अलग पैमाने
दूसरों के लिए
अलग पैमाने रखते हैं
© डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
535-26-25--10-2014
संदेह,जीवन,व्यवहार,सोच,पैमाना
बढ़िया रचना
उत्तर देंहटाएंदीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनायें!