इच्छा है
जीवन वृक्ष के
पत्ते
भले ही कम हो
जाए
देखने में
तरो ताज़ा ना
लगे
पंछी घोंसले नहीं
बनाएं
राहगीरों को
छाया भी नहीं
दे सके
पर कभी सूख कर
बेबस ठूठ नहीं
बने
कुल्हाड़ी से
कटे भी तो
कुछ हरे पत्ते
लिए
मरने के बाद
भी
लोग उसकी
जिंदादिली को
याद रखें
उसके जैसे ही
जीने की
इच्छा
रखें
© डा.राजेंद्र
तेला,निरंतर
523-14-14--10-2014
जीवन,बेबस,इच्छा
बेहद सुन्दर रचना
उत्तर देंहटाएं