गहरी नींद से
जागता है
सवेरे को उजाले
से
नहलाता है
मन में आशाएं
जगाता है
अपने ताप से
सड़क पर
जमे हुए कोलतार
को
पिघलाता है
नंगे पैरों को
झुलसाता है
ठंडी हवाओं को
दहकती लू में
बदलता है
शाम ढले क्षितिज
के
पीछे छुप जाता
है
ये सूरज भी
क्या क्या रंग
दिखाता है
हर दिन जीवन
का
रंग रूप दर्शाता है
रंग रूप दर्शाता है
© डा.राजेंद्र
तेला,निरंतर
500-40-20--09-2014
जीवन,
सूर्य,सूरज
बहुत खूब अभिव्यक्ति
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