कबीर बोले
========
स्वप्न लोक में
विचरण करते करते
दर्शन हुए कबीर के
शीश नवा कर पूछ लिया
कितना सहने के उपरान्त
जीवन सत्य जाना आपने
उत्तर में कबीर बोले
आवश्यक नहीं
स्वयं सह कर ही
जीवन समझे कोई
मन संवेदनशील
हृदय में प्रभु बसे हो
दूसरों के कष्ट को
अपना समझ कर
जीवन दर्शन
समझ सकते हो
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
कबीर,जीवन,जीवन दर्शन
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स्वप्न लोक में
विचरण करते करते
दर्शन हुए कबीर के
शीश नवा कर पूछ लिया
कितना सहने के उपरान्त
जीवन सत्य जाना आपने
उत्तर में कबीर बोले
आवश्यक नहीं
स्वयं सह कर ही
जीवन समझे कोई
मन संवेदनशील
हृदय में प्रभु बसे हो
दूसरों के कष्ट को
अपना समझ कर
जीवन दर्शन
समझ सकते हो
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
कबीर,जीवन,जीवन दर्शन
337-35-14--06-2014
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