सुबह सूरज का
उजाला देखा
सूरज को पाने की
तमन्ना करने लगा
रात चाँद की
चांदनी को देखा
चाँद को पाने की
हसरतें रखने लगा
काम काज भूल कर
उजाला देखा
सूरज को पाने की
तमन्ना करने लगा
रात चाँद की
चांदनी को देखा
चाँद को पाने की
हसरतें रखने लगा
काम काज भूल कर
सपनों में खो
गया
ना सूरज मिला
ना चाँद मिला
जिंदगी भर
ख्वाहिशों के
ना चाँद मिला
जिंदगी भर
ख्वाहिशों के
जाल में
उलझा रहा
उलझा रहा
अंत
तक
खाली हाथ रहा
कॉपीराइट@
कॉपीराइट@
डा.राजेंद्र
तेला,निरंतर
ज़िंदगी,ख्वाहिश,तमन्ना,हसरत,शायरी,selected
378-74-27--06-2014
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