जुड़ा है
मेरा तुम्हारा हृदय
प्रेम के अभेद्य सेतु से
पढ़ लेता है मेरा मन
तुम्हारे मन को
परस्पर विश्वास से
जान लेता है
मेरा मस्तिष्क
तुम्हारे मस्तिष्क को
सम्बन्धों में
व्याप्त आस्थाओं से
हम अहम से दूर
स्वार्थ से परे हैं
एक दूजे के पूरक हैं
दो होते हुए भी एक हैं
हमारा प्रेम
केवल प्रेम नहीं
आत्माओं का मिलन है
परमात्मा की
असीम कृपा का
स्वादिष्ट मीठा फल है
मनुष्य बन कर जीने का
परिणाम है
सम्बन्धों की सार्थक
परिभाषा है
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
प्रेम,आत्माओं का मिलन,आस्था,सम्बन्ध,जीवन,जीवन मन्त्र
परिभाषा है
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
प्रेम,आत्माओं का मिलन,आस्था,सम्बन्ध,जीवन,जीवन मन्त्र
265-32--20--05-2014
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