बुढापे के सफ़ेद
बाल
चेहरे पर झुर्रियां
माथे पर चिंता की लकीरें देख
मेरे कमरे में लगा
आइना व्यथित होने लगता है
नम आँखें लिए पूछता है
कहाँ खो गया
तुम्हारा पहले सा बेफिक्र अंदाज़
क्यों नहीं रहा अब तुम्हारा
पहले सा बन ठन कर रहना
किस चिंता में घुलते रहते हो
क्यों चेहरे की झुर्रियों और
सफ़ेद बालों में जीवन का
अंत देखते हो
मेरी ओर भी तो देखो
तुम्हारी जितनी ही उम्र का हूँ
अब भी पहले जैसे ही
तुम्हारी सूरत दिखाता हूँ
जब तक तड़क नहीं जाऊंगा
खुशी से जीता रहूँगा
हर स्थिति में
जीवन आनंद लेता रहूँगा
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर,अजमेर
बुढ़ापा,वृद्धावस्था,जीवन,जीवन मन्त्र,आनंद
चेहरे पर झुर्रियां
माथे पर चिंता की लकीरें देख
मेरे कमरे में लगा
आइना व्यथित होने लगता है
नम आँखें लिए पूछता है
कहाँ खो गया
तुम्हारा पहले सा बेफिक्र अंदाज़
क्यों नहीं रहा अब तुम्हारा
पहले सा बन ठन कर रहना
किस चिंता में घुलते रहते हो
क्यों चेहरे की झुर्रियों और
सफ़ेद बालों में जीवन का
अंत देखते हो
मेरी ओर भी तो देखो
तुम्हारी जितनी ही उम्र का हूँ
अब भी पहले जैसे ही
तुम्हारी सूरत दिखाता हूँ
जब तक तड़क नहीं जाऊंगा
खुशी से जीता रहूँगा
हर स्थिति में
जीवन आनंद लेता रहूँगा
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर,अजमेर
बुढ़ापा,वृद्धावस्था,जीवन,जीवन मन्त्र,आनंद
302-69--31--05-2014
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