क्यों गुलों की
बात करते हो
क्यों गुलशन के
ख्वाब देखते हो
जब मन में
खिज़ा बसी हो
दिल में
मायूसी भरी हो
सोच में
नाकामी का डर हो
जहन में
हार की घबराहट हो
कामयाबी
कैसे मिलेगी
ज़िंदगी में बहार
कैसे आएगी
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
212-55--20--04-2014
कामयाबी,नाकामी,सोच,ज़िंदगी,जीवन मन्त्र
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