ये
किस की हँसी
गूंजी
गुल खिलने लगे
फ़िज़ाओं में बहार
आ गयी
ज़मीन का ज़र्रा ज़र्रा
महकने लगा
भौरें गुंजन करना
चिड़ियाएँ
चचाहाना भूल गयी
सुरीली आवाज़
कानों से उतर कर
दिल में पहुँच गयी
ये किस की हँसी गूंजी
दिल को मंज़िल की
खबर हो गयी
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
गुल खिलने लगे
फ़िज़ाओं में बहार
आ गयी
ज़मीन का ज़र्रा ज़र्रा
महकने लगा
भौरें गुंजन करना
चिड़ियाएँ
चचाहाना भूल गयी
सुरीली आवाज़
कानों से उतर कर
दिल में पहुँच गयी
ये किस की हँसी गूंजी
दिल को मंज़िल की
खबर हो गयी
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
105-50-27-2-2014
हँसी,मोहब्बत,प्यार,बहारें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें