नदी के एक किनारे
से
दूसरे किनारे
तक
पहुँचने के उतावलेपन
में
टूटी पतवार लेकर
ही
नाविक चल पड़ा
जोश में भूल
गया
नदी के बीच में
गहराई अधिक होती
है
पतवार की मज़बूती
भी
आवश्यक होती
है
मंझधार में जब
नाव
डगमगाने लगी
समझ नहीं पाया
आगे जाऊं या
पीछे लौटूं
असमंजस में
होश खो बैठा
होश खो बैठा
नाव के साथ
खुद को भी डूबा
बैठा
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
04-374-05-12-2013
टूटी
पतवार,उतावलापन,जोश,जीवन जीवन मन्त्र
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