मेरी ख़ामोशी
से
मत समझना
तुम्हे चाहा
नहीं ,
तुम्हे पाया
तो नहीं ,
फिर भी खोया
नहीं
खवाबों ख्यालों
मैं,
रहती दखल तुम्हारी,
खबर जब आती
तुम्हारी,
जाग उठती है,
चाहत
मेरी
तुम्हें याद
करता हूँ,
सजदा दिल से
करता हूँ
जहाँ भी रहो
खुश रहो,
बस ये ही दुआ
करता हूँ
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
18-110-17-07-2013
ख्वाब,ख्याल,चाहत,मोहब्बत,खामोशी,दिल
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