नदी किनारे लगे
उस पेड़ का क्या कसूर
जो उफनती नदी के
बहाव में उखड जाता है
बदहवास
भागती भीड़ के रेले में
उस बालक का
क्या कसूर
जो परिवार से
बिछड़ जाता है
चाहे प्रेम हो या
मनुष्य का क्रोध
अति सब पर भारी
पड़ती है
कभी किसी को
कभी किसी को रोंदती है
98-101-09-07-2013
जीवन,अति,
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
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