तशद्दुद से
अमन चाहते हो
नफरत से
मोहब्बत चाहते हो
बन्दूक की गोली से
फूल चाहते हो
तुम रास्ता भटक चुके हो
पत्थर से पानी
निकालना चाहते हो
इंसान हो कर
इंसान को मारते हो
दहशतगर्दी को
मज़हब बचाना कहते हो
ज़न्नत की ख्वाहिश में
दोजख के सफ़र पर चलते हो
वक़्त रहते खुदा के
कहर से खुद को बचा लो
क़ज़ा मिले इससे पहले
नापाक ख्याल छोड़ दो
इंसान हो
इंसान बन कर जी लो
तशद्दुद=हिंसा,दहशतगर्दी=आतंकवाद ,मज़हब=धर्म
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
तशद्दुद=हिंसा
दहशतगर्दी=आतंकवाद
मज़हब=धर्म
53-53-28-01-2013
तशद्दुद=हिंसा,दहशतगर्दी=आतंकवाद
,मज़हब=धर्म
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
तशद्दुद=हिंसा
दहशतगर्दी=आतंकवाद
मज़हब=धर्म
सही कहा जी ....इंसान को इंसान ही बने रहने दो
उत्तर देंहटाएं