नित नए खेल
दिखाती ज़िन्दगी
कभी उठाती
कभी गिराती ज़िन्दगी
टुकड़ों टुकड़ों में
दिखाती ज़िन्दगी
कभी उठाती
कभी गिराती ज़िन्दगी
टुकड़ों टुकड़ों में
बांटती ज़िन्दगी
कभी रुलाती
कभी हंसाती ज़िन्दगी
किस की हुयी है
ज़िन्दगी
जो मेरी होगी
पता नहीं
कब साथ छोड़ देगी
ज़िन्दगी
कभी रुलाती
कभी हंसाती ज़िन्दगी
किस की हुयी है
ज़िन्दगी
जो मेरी होगी
पता नहीं
कब साथ छोड़ देगी
ज़िन्दगी
973-90-19-12-2012
ज़िन्दगी
जिंदगी कि पहेली समझ ही नहीं आती जी ,बहुत खूब
उत्तर देंहटाएंबहुत खूब राजेंद्र तेला जी
उत्तर देंहटाएं"पता नहीं
कब साथ छोड़ देगी
ज़िन्दगी"
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