रात आँख लगी ही थी
टिटहरी की आवाज़ ने
जगा दिया
खिड़की में टिटहरी को
बैठे देख रात में टिटहराने का
कारण पूछ लिया
टिटहरी ने खिड़की
खुली रखने का धन्यवाद दिया
साथियों से बिछड़ गयी हूँ
नीड का रास्ता भूल गयी हूँ
कमरे की खिड़की खुली न होती,
तो रात भर भटकती रहती
उसकी बात ने मुझे झंझोड़ दिया
मैं सोचने लगा क्यों इंसान
बड़े उपकार तक भूल जाता है
© डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
857-41-23-11-2012
उपकार,धन्यवाद,स्वार्थ
bahut khub...
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