रात भर दिल को
समझाता रहा
यादों को ख्यालों में
आने से रोकता रहा
दिल इतना बेचैन था
ज़िद पर अड़ गया
महबूब की यादों में
खोने को मचलता रहा
नादाँ
इतना भी नहीं समझा
दिल एक बार टूट कर
बिखर जाता है
फिर कभी नहीं जुड़ता
यादों का कतरा कतरा
ज़ख्म करता है
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
शायरी,दिल,मोहब्बत
समझाता रहा
यादों को ख्यालों में
आने से रोकता रहा
दिल इतना बेचैन था
ज़िद पर अड़ गया
महबूब की यादों में
खोने को मचलता रहा
नादाँ
इतना भी नहीं समझा
दिल एक बार टूट कर
बिखर जाता है
फिर कभी नहीं जुड़ता
यादों का कतरा कतरा
ज़ख्म करता है
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
शायरी,दिल,मोहब्बत
24-07-2012
621-17-07-12
bahut khoob sir...
उत्तर देंहटाएंwaah ji ....dil ke tutane ka dard .....har koi nahi samjhta
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