वक़्त से पहले ही
साथी के साथ
सफ़र अधूरा रह गया
यादें सहारा,
रोना साथी,बन गया
वक़्त के साथ
ये घड़ी भी कभी
गुजरेगी
फिर भी यादें
दिल दिमाग पर
दस्तक देती रहेंगी
चैन से
रहने नहीं देगी
अकेलापन कचोटेगा
बहारों में सुगंध
ज़िन्दगी में पहले सी
रवानी नहीं होगी,
18-03-2012
403-137-03-12
सुन्दर !
उत्तर देंहटाएंबहुत सुंदर कविता .....बधाई
उत्तर देंहटाएंकभी समय मिले तो तो shiva12877.blogspot.in पर भी पधारें ..
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - तीन साल..... बाप रे बाप!!! ब्लॉग बुलेटिन
उत्तर देंहटाएंबहुत खूब..
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