ज़िन्दगी की धूप में
बाल तो सफ़ेद नहीं हुए
दिल सफ़ेद हो गया
सारा खून ज़माना
पी गया
छल कपट के सामने
कमज़ोर पड गया
मोहब्बत से
जीने वाला घबरा गया
पर उम्मीद अभी बाकी है
सांस भी चल रही हैं
जब तक रहेगी जान
में जान
हार नहीं मानूंगा
मोहब्बत के खातिर
लड़ता रहूँगा
20-03-2012
415-149-03-12
जीवन में जो नहीं हारते वही मंजिल को पाते हैं ...बहुत सुंदर कविता ...
उत्तर देंहटाएंबहुत खूब..
उत्तर देंहटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - सिंह या शिखंडी.... या फ़िर जस्ट रोबोट.... ब्लॉग बुलेटिन
उत्तर देंहटाएंबहुत सही लिखा ...
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