जीवन को
नीरस ना बनाओ
नीरस जीवन
वैसा ही होता
जैसे मुस्कान बिना होंठ
रौशनी बिना नयन
स्नेह बिना हृदय
हरीतिमा बिना पृथ्वी
पंछी बिना गगन
वात्सल्य बिना माँ
चाँद तारों बिना रात
भावनाओं बिना इंसान
स्पंदन बिना शरीर
जीवन को नीरस
ना बनाओ
जल की बहती धारा
सा बनाओ
निरंतर चलता रहे
हर स्थिती परिस्थिती में
आगे बढ़ता रहे
उस में रस डालो
होठों की मुस्कान से
प्यार के भण्डार से
आनंद उत्साह से
छोड़ दो भूत काल की बातें
ना करो चिंता भविष्य की
जीवन को सजाओ
झरनों की कल कल से
पक्षियों की चचहाहट से
बसंत की बहार से
संगीत के सुर से
आमोद प्रमोद से
प्रेम भाई चारे से
खूब हँसो और हँसाओ
नाचो और नचाओ
जीओ और जिलाओ
जीवन को
नीरस ना बनाओ
जब तक जीओ
आनंद मनाओ
नीरस ना बनाओ
नीरस जीवन
वैसा ही होता
जैसे मुस्कान बिना होंठ
रौशनी बिना नयन
स्नेह बिना हृदय
हरीतिमा बिना पृथ्वी
पंछी बिना गगन
वात्सल्य बिना माँ
चाँद तारों बिना रात
भावनाओं बिना इंसान
स्पंदन बिना शरीर
जीवन को नीरस
ना बनाओ
जल की बहती धारा
सा बनाओ
निरंतर चलता रहे
हर स्थिती परिस्थिती में
आगे बढ़ता रहे
उस में रस डालो
होठों की मुस्कान से
प्यार के भण्डार से
आनंद उत्साह से
छोड़ दो भूत काल की बातें
ना करो चिंता भविष्य की
जीवन को सजाओ
झरनों की कल कल से
पक्षियों की चचहाहट से
बसंत की बहार से
संगीत के सुर से
आमोद प्रमोद से
प्रेम भाई चारे से
खूब हँसो और हँसाओ
नाचो और नचाओ
जीओ और जिलाओ
जीवन को
नीरस ना बनाओ
जब तक जीओ
आनंद मनाओ
© डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
14-03-2012
367-101-03-12
wah kya shandar hasmukh jeevan jine ki prerna deti hai ye kavita
उत्तर देंहटाएंकल 012/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
उत्तर देंहटाएंधन्यवाद!
bahut sundar
उत्तर देंहटाएं