पहली बार
जब चढ़ा था
पर्वत पर कोई
हाथ उसके खाली थे
ना कोई औजार
ना कोई सहारा
ना हथियार
ना पैरों में जूते थे
लगन होंसला
हिम्मत उसके साथ थे
आँखों में था सपना
पर्वत पर विजय पाने का
इन्ही के सहारे जीता था
उसने पर्वत को
तुम क्यों घबराते हो
याद करो
उस महान इंसान को
उस महान इंसान को
उसकी हिम्मत
होंसले,लगन से
प्रेरित हो करतुम भी जुट जाओ
आगे बढ़ जाओ
स्वयं पर विश्वास रखो
एक दिन
सफल हो जाओगे
लक्ष्य तक पहुँच जाओगे
एक दिन
सफल हो जाओगे
लक्ष्य तक पहुँच जाओगे
© डा.राजेंद्र तेला,निरंतर
07-03-2012
315-49-03-12
लक्ष्य को एक दिन आना ही पड़ता है, श्रम के आगे।
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