हार जाता हूँ
आपा खो देता हूँ
खुद को भूल
जाता हूँ
क्रोध के सामने
सर झुका देता हूँ
इश्वर को भूल
जाता हूँ
कमजोर हूँ
दुनिया को बता
देता हूँ
11-02-2012
145-56-02-12
"निरंतर",जो चलता रहे,पीछे को पीछे छोड़,नए सोच के साथ,बिना थके,आगे बढ़ता रहे,निरंतर कुछ नया करता रहे........... "सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग" रोग मुक्त रहो निरंतर चलते रहो.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) किसी भी रचना से किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मंतव्य नहीं है फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
सहज ही है..
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