चेहरा दिखाकर छुप जाते हैं लोग
जब भी चाहते भूल जाते हैं लोग
दिल लगाने को बातें करते हैं लोग
हँसा हँसा कर फिर रुलाते हैं लोग
ना जाने कौन सा बदला लेते हैं लोग
हसीं ख्वाब दिखा कर तोड़ते हैं लोग
यादों के लम्हे छोड़ जाते हैं लोग
निरंतर इंतज़ार में तडपाते हैं लोग
ग़मों का बोझ छोड़ जाते हैं लोग
जिला जिला कर मारते हैं लोग
18-12-2011
1868-36-12
आपकी प्रवि्ष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है!
उत्तर देंहटाएंयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!
चेहरा दिखाकर छुप जाते हैं लोग
उत्तर देंहटाएंजब भी चाहते भूल जाते हैं लोग
...aadat jo ban jaati hai..
bahut khoob!
ये ही ज़माने की रीत है
उत्तर देंहटाएंak achhi rachana ke liye punh abhar
उत्तर देंहटाएं